200 कंप्यूटर की शुरूआत ही मनुष्य के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है। आज के समय में कंप्यूटर का उपयोग घर से लेकर स्कूल हॉस्पिटल, बैंक या फिर कह लीजिए की लगभग हर जगह पर देखा जा सकता है।
और समय के साथ साथ कंप्यूटर की संरचना में भी काफी सारे बदलाव आते रहे। जो कंपनियां समय के साथ चलने में कामयाब रहीं।
वो तो बाजार में अभी भी मौजूद है, लेकिन जो कंपनियां समय के साथ बदलना सकी वो समय के इस दौर में कब की तब चुकी है।
और आज हम एक ऐसी ही कंपनी के बारे में बात करेंगे जिसने समय के अनुसार बदलाव करते हुए 75 सालों से अधिक का सफर तय कर लिया है और आगे भी इसके रुकने की कोई वजह नहीं दिखाई देती।
हम बात कर रहे हैं अमेरिका की मल्टीनेशनल आईटी कंपनी HP के बारे में जिसका हेडक्वार्टर कैलिफोर्निया के पालो आल्टो शहर में है और जहां तक मुझे उम्मीद है कि आज भी नाम से भली भांति वाकिफ होंगे।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका पूरा नाम टैबलेट पैकर्ड है जो इसके फाउंडर्स के नाम पर रखा गया था और इस कंपनी को दो लोगों ने मिलकर सिर्फ 538 डॉलर में शुरू किया था। शायद ये सभी बातें आपको नहीं पता होंगी।
तो चलिए दोस्तों हार्ले टाइगर यानी अजूबे की स्टोरी को हम शुरू से डिटेल में जानते हैं। आज भी कंपनी की शुरुआत होती है। 1938 से। जब दो दोस्तों ने मिलकर एक किराए की गराज भी काम शुरू किया।
दरअसल दोनों दोस्तों के पास कुल मिलाकर 500 औरतें जूलरी थी और सिर्फ इतने पैसों में ही HP की नींव रखी गई थी। और जिन दोस्तों की मैं बात कर रहा हूं, उनका नाम है विलियम हैमलेट और डेविड टैगोर।
दोनों ही स्टैंड यूनिवर्सिटी से 1935 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर चुके थे और इस कंपनी का नाम दोनों दोस्तों ने टॉप उछालकर डिसाइड किया था।
दरअसल उनका डील था कि टॉम जिसके भी पक्ष में आएगा। कंपनी के नाम में उनका सरनेम पहले जोड़ा जाएगा और डांस करने के बाद वह टॉप विलियम हैमलेट जीत लिया और इसलिए कंपनी का नाम हेवलेट पैकार्ड रखा गया।
HP के अंतर्गत दोनों दोस्तों ने बहुत सारे प्रोजेक्ट्स पर काम किया, लेकिन उनको सफलता दिलवाने में आरटीओ और सिलेक्टर का हाथ रहा।
उस समय दूसरे कंपनीज के पास लेटर की कीमत 200 डॉलर के आस पास हुआ करती थी, लेकिन HP के द्वारा बनाया गया आडियो लेटर टेक्नो दूसरे लेटर से बेहतर था और उसकी कीमत सिर्फ 90 डॉलर के आसपास हुआ करती थी और HP के ऑफर लेटर के पहले कहा कि वाल्ट डिज्नी जिन्होंने 70 डॉलर की कीमत में कुल आठ पीसेज खरीदे थे।
60 के दशक में HP ने सोनी और योकोहामा लिक्विड के साथ हाई क्वालिटी प्रोडक्ट बनाने का डील किया, लेकिन प्रॉडक्ट्स महंगे होने की वजह से सफल नहीं हो सके और फिर 1963 में सामने टाटा डियो को गोवा नाम से दोनों कंपनियों ने एक ज्वाइंट वेंचर शुरू किया, जिसके तहत जापान में HP के प्रॉडक्ट्स बेचे गए।
लेकिन न तो आज के समय में आज भी दो कंप्यूटर्स के लिए जानी जाती है। न और इस फील्ड में आज भी का सफर शुरू हुआ।
1966 से जब कंपनी ने HP टू वन जीरो जीरो और HP वन जीरो डबल जीरो नाम का मिनी कंप्यूटर बनाया। यह सीरीज काफी लोकप्रिय हुई और अगले 20 सालों तक लोगों ने इसे खूब इस्तेमाल किया।
1968 में HP ने प्रोग्राम वन जीरो वन नाम से दुनिया का पहला कमर्शियल कंप्यूटर भी लॉन्च किया, जिसकी कीमत उस समय करीब पाँच हज़ार डॉलर के आसपास हुआ करती थी।
आगे चलकर HP ने 1972 में HP सर्टिफाइड नाम से दुनिया का पहला साइंटिफिक कैलकुलेटर भी बनाया। इसके बाद 1974 में पहला प्रोग्रामेबल और फिर 1981 में पहला अल्फान्यूमेरिक कैलकुलेटर बनाया गया और इससे पहले ही 1975 में HP ने लाठी डंडे से शुरू करके अपना पहला डेस्कटॉप कंप्यूटर बनाया।
लेकिन टेक्निकल इश्यु होने की वजह से इसकी कीमतें काफी ज्यादा हुआ करती थीं। 1984 में HP ने डेस्कटॉप कंप्यूटर्स के लिए इनकी जड और लेजर प्रिंटर्स बनाने शुरू किए और 1986 में आज भी ने HP डॉट कॉम नाम से डोमेन रजिस्टर्ड करवाया।
इससे वह इंटरनेट पर डोमेन रजिस्टर्ड करवाने वाली दुनिया की नौंवी कंपनी बनी। 90 के दशक में आज भी ने अपना ज्यादातर ध्यान कंप्यूटर और उससे जुड़े हुए इक्विपमेंट्स के ऊपर केन्द्रित कर लिया था। इसीलिए आज भी ने 1989 में अपोलो कंप्यूटर और 1995 में कोन वक्त कंप्यूटर नाम की कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया।
1999 में कंप्यूटर के अलावा सारे बिजनेस को HP से अलग कर दिया गया, जिसे की एक्सीलेंट टेक्नोलॉजीज के नाम के बाद रखा गया।
और फिर आगे चलकर दो हज़ार 8 से 2 हज़ार 13 तक HP कंप्यूटर्स की दुनिया में पूरी तरह से छाई रही और बिक्री के मामले में पांच साल के लंबे वक्त तक कंपनी ने पहले नंबर पर अपना कब्जा जमाए रखा।
हालांकि दो हज़ार 13 में लेनोवो ने HP से यह पोजिशन छीन लिया था और इसी बीच दो हज़ार 10 में कंपनी के उस वक्त के सीईओ मार्क हार्ड पर लगे यौन शोषण के आरोप के चलते कंपनी के शेयर्स में
भारी कमी देखी गई और कंपनी को लगभग उस समय नौ बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा और फिर दो हज़ार 11 में HP के शेयर लगभग 40 पर्सेंट तक नीचे आ चुके थे, जिससे कंपनी को लगभग 30 बिलियन डॉलर का भारी नुकसान हुआ।
अब कंपनी का मुनाफा काफी तेजी से कम होता जा रहा था, जिससे निपटने के लिए HP ने अपने बिजनेस मॉडल में कई सारे बदलाव किए और दो हज़ार 14 में HP ने घोषणा की कि वह दो अलग अलग कंपनियों में बढ़ रही है, जिसमें एक का नाम HP था और दूसरा HP इंटरप्राइजेज।
और यह निर्णय कंपनी को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुई और आज भी HP अपनी बेहतरीन कंप्यूटर्स के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध।
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